हिसार के 1 वर्षीय युवांश को 2 करोड़ की दरकार:दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारी का इंजेक्शन 9 करोड़ का; क्राउड फंडिंग से 7 करोड़ जुटा

दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारी से जूझ रहे हरियाणा पुलिस कॉन्स्टेबल का बेटा युवांश इस 9 अक्टूबर को एक साल का हो जाएगा। उम्मीद है कि पहले जन्म दिन पर उसे लंबी जिंदगी का तोहफा मिल जाए। ये तोहफा कुछ और नहीं बल्कि स्विट्जरलैंड से आने वाला 9 करोड़ रुपए का इंजेक्शन है।
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) टाइप-1 से जूझ रहे युवांश के लिए यह इंजेक्शन किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं होगा। क्राउड फंडिंग यानी लोगों के सहयोग से करीब 7 करोड़ रुपए जुटाए जा चुके हैं। अब दो करोड़ रुपए की कमी रह गई है। इस महीने 4 और जिलों के पुलिस कर्मी 1-1 दिन का वेतन बच्चे के इलाज के लिए देंगे।
बता दें कि, युवांश की बीमारी के इलाज के लिए स्विट्जरलैंड के जेनेवा शहर से जोलगेन्समा इंजेक्शन मंगवाया जाना है। जिसकी पहले कीमत 14.50 करोड़ रुपए थी। इस बीमारी का एकमात्र इलाज जीन थेरेपी है, जिसके लिए यह इंजेक्शन जरूरी है। हिसार के रहने वाले युवांश के पिता राजेश कुमार फतेहाबाद की साइबर शाखा में कॉन्स्टेबल हैं, जबकि मां किरण फतेहाबाद में ही फूड एंड सप्लाई डिपार्टमेंट में क्लर्क हैं।
अपना सबकुछ बेच देते तब भी इतनी रकम न जुटा पाते
युवांश के पिता राजेश कुमार ने दैनिक भास्कर एप से बातचीत में बताया कि जब बेटे की जिंदगी बचाने के लिए संघर्ष शुरू किया तब इंजेक्शन की कीमत 14.50 करोड़ रुपए थी। अपना सबकुछ बेचकर भी हम इतनी बड़ी रकम नहीं जुटा पाते। दिन-रात छोटे बच्चे की तरफ देखकर रोते रहते थे।
बेटे की जिंदगी बचाने के लिए हमने क्राउड फंडिंग शुरू की। दैनिक भास्कर एप पर युवांश की कहानी आई, तो लोग मदद के लिए आगे आने लगे। जिससे जितनी मदद बन पड़ी, लोग करने लगे। शुरू में इतनी बड़ी रकम हमारे लिए पहाड़ सरीखी लग रही थी। धीरे-धीरे फासला तय होने लगा।
18 जिलों के पुलिसवालों ने दिया 1-1 दिन का वेतन
प्रदेश के 18 जिलों के पुलिसकर्मियों ने भी स्वेच्छा से एक-एक दिन का वेतन युवांश की मदद के लिए दिया है। प्रदेश के 22 जिलों में से करनाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला और यमुनानगर को छोड़कर बाकी 18 जिलों के पुलिस कर्मियों ने एक-एक दिन का वेतन दिया। पिता राजेश उम्मीद जताते हैं कि इस महीने की सैलरी से इन चारों जिलों के पुलिसकर्मियों से भी मदद मिलेगी।
युवांश की मदद के लिए राजनेताओं ने भी ग्रांट के तौर पर खूब मदद की है। सबसे बड़ी मदद ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर अनिल विज की ओर से मिली। उन्होंने 20 लाख रुपए की ग्रांट दी। अर्बन लोकल बॉडीज मिनिस्टर विपुल गोयल ने 9 लाख, सहकारिता मंत्री अरविंद शर्मा ने 5 लाख, पयर्टन मंत्री राव नरबीर सिंह ने 5 लाख रुपए, पंचायत मंत्री कृष्ण लाल पंवार ने 5 लाख, पीडब्ल्यूडी मंत्री रणबीर गंगवा और खेल मंत्री गौरव गौतम ने 2-2 लाख रुपए की ग्रांट दी है।
गवर्नर ऑफिस से लेकर सामाजिक संगठनों से मदद मिली
इसके अतिरिक्त राज्यपाल कार्यालय की ओर से 5 लाख और पूर्व मंत्री एवं हिसार की विधायक सावित्री जिंदल द्वारा भी 5 लाख रुपए की मदद की गई है। सामाजिक संगठनों, सोशल वर्कर्स और व्यक्तिगत सहयोग के जरिए बाकी राशि जुटाई गई है। युवांश की मां किरण के डिपार्टमेंट फूड एंड सप्लाई के एम्पलॉयज ने भी योगदान दिया है।
इंजेक्शन की कीमत घटी तो उम्मीद बढ़ी
इंजेक्शन की कीमत मूल कीमत करीब 14.50 करोड़ रुपए है। पिता राजेश बताते हैं कि इंजेक्शन निर्माता कंपनी से बात की गई और सारी बात बताई गई। यह भी बताया कि क्राउड फंडिंग की जा रही है। इसके बाद कंपनी यह इंजेक्शन करीब 9 करोड़ रुपए में देने को तैयार हो गई। क्राउड फंडिंग के जरिए 7 करोड़ रुपए जुटा लिए हैं। अब सिर्फ 2 करोड़ रुपए की और जरूरत है। 2 करोड़ और एकत्रित होते ही वह जेनेवा से इंजेक्शन मंगवा लेंगे।
अब जानिए....युवांश को ऐसी बीमारी जिसमें शरीर ग्रोथ नहीं करता
- 9 अक्टूबर 2024 को हुआ था बेटे का जन्म: राजेश ने बताया कि उनकी शादी 23 अप्रैल 2023 को हिसार जिले के ही बरवाला क्षेत्र के गांव संदलाना की किरण के साथ हुई थी। 9 अक्टूबर 2024 को बेटा हुआ, जिसका नाम युवांश रखा। युवांश जब दो महीने का हो गया, तो वह सामान्य बच्चों की तरह एक्टिविटी नहीं कर रहा था। उन्होंने हिसार में हड्डी रोग विशेषज्ञ को दिखाया। पहले डॉक्टर ने कहा कि सब ठीक है, थोड़ा लेट विकास होगा।
- बेटे की छाती में आवाज आने लगी : राजेश ने बताया कि दो-तीन महीने और बीते तो बेटे की छाती में आवाज आने लगी। इसके बाद हिसार के दूसरे डॉक्टर को दिखाया गया तो एक महीने में कुछ इम्प्रूवमेंट हुई। एक हफ्ते तक अस्पताल में एडमिट भी रखा। इससे और इम्प्रूवमेंट हुई। मगर जब दोबारा डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने हायर सेंटर पीजीआई या एम्स में दिखाने की सलाह दी।
- SMA टेस्ट करवाया तो PGI भेजा : इसके बाद मई महीने में हिसार के एक अन्य प्राइवेट अस्पताल में दिखाया तो डॉक्टर ने SMA टेस्ट करवाया। 18 मई को आई टेस्ट की रिपोर्ट में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 बीमारी मिली। डॉक्टर ने सुझाव दिया कि चंडीगढ़ PGI या एम्स में ट्रीटमेंट शुरू करवाओ।
- 22 मई को लेकर गए पीजीआई : राजेश ने बताया कि 22 मई को वह पीजीआई में डॉ. रेणु सुथार के पास गए। डॉ. रेणु ने बताया कि रीढ़ की हड्डी में न्यूरांस बनते हैं। इन न्यूरांस से ही सेल बनते हैं, जो शरीर की ग्रोथ करते हैं। SMA बीमारी होने पर न्यूरांस नहीं बनते हैं। न्यूरांस नहीं बनने पर शरीर ग्रोथ नहीं करता है। शरीर सूख जाता है।
- दो साल की उम्र तक इंजेक्शन लगवाना जरूरी : हिसार के आधार हॉस्पिटल की शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. विनीता जैन बताती हैं कि यह इंजेक्शन 2 साल की उम्र तक लगवाना जरूरी है। हर रोज बीमारी बढ़ती है। इसलिए तत्काल इंजेक्शन लगवाना जरूरी है। इंजेक्शन आने के बाद दो से तीन महीने तक ट्रीटमेंट चलता रहेगा।