हरियाणा बिजली निगम के कच्चे कर्मचारियों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा के बिजली निगमों में कार्यरत कच्चे कर्मचारियों के पक्ष में बड़ा फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि 6 हफ्तों के भीतर सभी पात्र कच्चे कर्मचारियों को नियमित किया जाए।
साथ ही चेतावनी दी है कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाएगी।
जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ की बेंच ने कहा कि कई कर्मचारी 1995 से लगातार काम कर रहे हैं,
इसके बावजूद उन्हें अब तक नियमित नहीं किया गया, जबकि उन्हें पहले भी कोर्ट से राहत मिल चुकी है।
कर्मचारियों का शोषण नहीं कर सकती सरकार: हाईकोर्ट सख्त ⚠️
कोर्ट ने सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया कि स्वीकृत पदों की कमी या शैक्षणिक योग्यता पूरी न होने के चलते कर्मचारियों को नियमित नहीं किया जा सकता।
जस्टिस बराड़ ने कहा:
“राज्य एक संवैधानिक नियोक्ता है। उसे अपने अस्थायी कर्मचारियों का शोषण करने की अनुमति नहीं दी जा सकती,
खासकर तब जब वे वर्षों से लगातार सेवा दे रहे हैं।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार को कर्मचारियों को उनके सहकर्मी वीर बहादुर की तरह पूर्ण लाभ, वरिष्ठता और बकाया वेतन के साथ नियमित करना होगा।
सरकार के बहाने और नीतियों पर उठाए सवाल 🏛️
कर्मचारियों ने कोर्ट को बताया कि वे 1995 से अस्थायी और तदर्थ आधार पर काम कर रहे हैं।
2005 के हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद, मई 2025 में पदों की अनुपलब्धता का हवाला देकर उनका दावा फिर खारिज कर दिया गया।
कोर्ट ने इसे “अस्थायी बहाना” बताया और कहा कि सरकार प्रशासनिक बाधाओं के नाम पर कर्मचारियों को उनका हक नहीं छीन सकती।
जस्टिस बराड़ ने कहा कि अक्सर सरकारी नीतियां सिर्फ अदालती आदेशों को दरकिनार करने के लिए बनाई जाती हैं,
जो असंवैधानिक और असमानता के सिद्धांत के खिलाफ है।
न्यायालय ने राज्य संस्थाओं के लिए 7 कड़े निर्देश जारी किए 📜
अदालत ने इस मामले में 7 सख्त दिशानिर्देश जारी किए हैं, ताकि भविष्य में ऐसे मामलों में
अनुपालन, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।
हाईकोर्ट ने कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार कर्मचारियों का शोषण बंद करे और
उन्हें उनके हक और सम्मान के साथ स्थायी पदों पर नियुक्त किया जाए।