कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले पूर्व मंत्री संपत सिंह की कहानी: 48 साल पहले देवीलाल ने दी थी राजनीति में शुरुआत, हुड्डा के रहे करीब, अब इनेलो की ओर झुकाव
हरियाणा की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। राज्य के पूर्व वित्त मंत्री प्रो. संपत सिंह ने कांग्रेस पार्टी से अपना इस्तीफा दे दिया है। करीब 48 साल पहले ताऊ देवीलाल के मार्गदर्शन में राजनीति की शुरुआत करने वाले संपत सिंह के इस कदम ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है।
लगभग 15 साल तक कांग्रेस का हिस्सा रहे संपत सिंह ने रविवार (2 नवंबर) को अपना त्यागपत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजा। इस्तीफे की प्रतिलिपि उन्होंने राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल, बीके हरिप्रसाद और हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह को भी भेजी है।
दिलचस्प बात यह रही कि संपत सिंह ने अपने इस्तीफे में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम एक बार भी नहीं लिया, जबकि वह लंबे समय तक उनके करीबी माने जाते रहे हैं। अब अटकलें हैं कि उनका रुझान इनेलो (इंडियन नेशनल लोकदल) की ओर बढ़ सकता है।
इस्तीफे में क्या लिखा — कांग्रेस पर गंभीर सवाल
अपने इस्तीफे में संपत सिंह ने कुमारी सैलजा की खुलकर तारीफ की और लिखा कि पार्टी में उन्हें भी अनदेखा और प्रताड़ित किया गया। उन्होंने कांग्रेस के भीतर घटते संगठनात्मक अनुशासन और नेतृत्व पर भी सवाल उठाए।
अपने पत्र में उन्होंने लिखा —
"इन परिस्थितियों में मुझे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की उस क्षमता पर विश्वास नहीं रहा कि वह हरियाणा की जनता के हितों का प्रतिनिधित्व कर सकती है। मैं एक गर्वित हरियाणवी हूं और अपने प्रदेश की जनता को निराश नहीं कर सकता। हरियाणा के प्रति मेरी प्रतिबद्धता अटूट है, परंतु वर्तमान कांग्रेस नेतृत्व में मेरा विश्वास समाप्त हो गया है। अतः मैं कांग्रेस से त्यागपत्र देने के लिए विवश हूं।"
संपत सिंह की राजनीतिक यात्रा — एक झलक
संपत सिंह ने राजनीति में कदम ताऊ देवीलाल के कहने पर रखा था। 1977 में जब वे जाट कॉलेज, हिसार में प्रोफेसर थे, तब देवीलाल ने उन्हें राजनीति में आने का निमंत्रण दिया।
उन्होंने फतेहाबाद की भट्टू विधानसभा सीट से अपना पहला चुनाव लड़ा और फिर कई बार विधायक बने।
बाद में नलवा सीट से चुनाव जीतकर उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल की पत्नी जसमा देवी को हराया।
करीब 32 साल तक चौटाला परिवार के साथ इनेलो में सक्रिय रहने के बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में हार के पश्चात उन्होंने पार्टी से दूरी बना ली थी।
हरियाणा की राजनीति में खास पहचान
- दो बार रहे वित्त मंत्री: 1987 में ताऊ देवीलाल की सरकार और 1999 में ओमप्रकाश चौटाला की सरकार में उन्होंने वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाला।
- गठबंधन राजनीति में भूमिका: उन्होंने इनेलो-भाजपा गठबंधन सरकार बनाने और राजनीतिक संकटों को सुलझाने में अहम योगदान दिया।
- वित्तीय सुधारों में अग्रणी: उनके कार्यकाल में हरियाणा, केंद्र की सिफारिशों पर वित्तीय सुधार लागू करने वाला पहला राज्य बना। साथ ही, वैट लागू करने वाला भी पहला राज्य हरियाणा ही था।
क्या फिर लौटेंगे पुरानी राह पर?
कांग्रेस छोड़ने के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि संपत सिंह इनेलो में वापसी कर सकते हैं। कुछ समय पहले वे इनेलो की ताऊ देवीलाल जयंती रैली में शामिल हुए थे और अभय सिंह चौटाला की जमकर प्रशंसा की थी।
वे हाल ही में ओमप्रकाश चौटाला की अस्थि कलश यात्रा में भी मौजूद रहे थे और हिसार में यात्रा का नेतृत्व स्वयं किया था।
जानकारी के अनुसार, कुछ दिन पहले उन्होंने अपने समर्थकों के साथ बंद कमरे में बैठक कर भविष्य की रणनीति पर चर्चा की थी।